नई दिल्ली। आसान कर्ज के घातक मर्ज पर अंकुश की तैयारी। गूगल ने भारत में पर्सनल लोन देने वाले ऐप्स पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गूगल ने कहा कि पर्सनल लोन ऐप डेवलपर्स को 15 सितंबर, 2021 तक हर हाल में नई गाइडलाइंस का पालन करना होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) की ओर से गाइडलाइन बनाई है।
गूगल की नई पॉलिसी के तहत ऐप डेवलपर्स को लोन देने का आरबीआइ का लाइसेंस, लोन चुकाने की न्यूनतम और अधिकतम अवधि, ब्याज दरों के साथ अन्य फीस और टोटल लोन कॉस्ट की जानकारी यूजर्स को लोन से पहले देनी होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही ऑनलाइन लोन देने के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि ऑनलाइन लोन देने वाले प्लेटफॉर्म को शॉर्ट टर्म लोन पर इतना अधिक ब्याज और प्रोसेसिंग फीस वसूलने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआइ से ऐसे प्लेटफॉर्म पर अंकुश लगाने को कहा है।
30 से 35 फीसदी सालाना ब्याज -
देश में कई पर्सनल लोन ऐप्स पांव पसार चुके हैं, जो लोगों को ऑनलाइन लोन देने का झांसा देकर लूट रहे हैं। प्ले स्टोर से ऐसे ऐप को डाउनलोड करते ही यह शर्त स्वीकार कराई जाती है कि लोन के लिए यूजर को पर्सनल डिटेल और कॉन्टेक्ट लिस्ट साझा करनी होगी। ये ऐप्स बिना किसी इनकम प्रूफ मिनटों में 50 हजार तक का लोन काफी ऊंची दर (30% से 35%) पर देते हैं। समय पर किस्त नहीं चुकाने पर रोज 2 से 3 फीसदी तक पेनाल्टी लगाते हैं। कई ऐप लोन देने से पहले ही प्रोसेसिंग फीस और जीएसटी के नाम पर 20 से 22 फीसदी तक रकम काट लेते हैं।
ऐसे फंसाते हैं जाल में -
यूजर को 20-30 ऐप्स के टेलीकॉलर फोन कर बताते हैं कि उनके अच्छे रेकॉर्ड की वजह से कंपनी उन्हें लोन देना चाहती है। ग्राहक पुराने लोन चुकाने के लिए नया लोन लेते हैं और इस मकडज़ाल में फंसते चले जाते हैं।
रिकवरी एजेंट्स से जीना मुश्किल -
लोन नहीं चुका पाने पर इन ऐप्स के टेलीकॉलर और रिकवरी एजेंट यूजर को कॉल कर धमकियां देते हैं। उनके परिवार के सदस्यों को भी धमकाया जाता है। परिवार की महिलाओं को पोर्न क्लिप भेजने के मामले भी सामने आए हैं। इस तरह के सामाजिक अपमान से क्षुब्ध होकर तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में कई लोग आत्महत्या कर चुके हैं।
आरबीआइ गाइडलाइंस -
आरबीआइ ने लोगों को आगाह किया है कि ऑनलाइन इंस्टेंट लोन लेने से बचें। लोन लेने से पहले कंपनी को इसका लाइसेंस मिला है या नहीं, इसकी जांच कर लें। आरबीआइ की गाइडलाइंस के मुताबिक लोन रिकवरी के लिए परिवार या दोस्त-रिश्तेदारों को कॉल नहीं किया जा सकता।
पत्रिका व्यू -
पुराने जमाने के सूदखोर महाजन अब डिजिटल अवतार में प्रकट हो रहे हैं। ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक इनके लिए वरदान है। इसके इस्तेमाल से ये पता लगा लेते हैं कि कब कौन पैसे की तंगी से जूझ रहा है। डिजिटल दुनिया से अनजान या अर्ध परिचित लोगों को ये अपना शिकार बनाने लगते हैं। कर्ज देते समय इनकी जटिल शर्तों को समझना मुश्किल होता है। आम तौर पर कर्ज चाहनेवाला अनजाने में उन शर्तों पर उसी तरह सहमति दे देता है, जैसे पहले महाजन अंगूठा लगवा लेता था। ऐसे ऑनलाइन सूदखोरों पर नकेल कसना जरूरी है, वरना इनके कर्ज का जाल बड़ी समस्या का रूप ले लेगा।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3y8L1IZ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.