सोशल मीडिया यूजर्स के लिए एंटरटेनमेंट के साधन हैं। इन पर लोग अपनी रुचि के हिसाब से कंटेंट देखते हैं। आजकल ज्यादातर यूजर्स सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। फेसबुक (facebook) भी दुनियाभर में सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में से एक है। फेसबुक पर लोग ज्यादा समय बिताते हैं। इस पर यूजर्स को राजीनीति और मनोरंजन से लेकर हर तरह का कंटेंट देखने को मिलता है, लेकिन क्या आपको पता है ज्यादार यूजर्स इस प्लेटफॉर्म पर किस तरह का कंटेंट देखना पंसद करते हैं। इस बात का खुलासा हाल ही कंपनी ने खुद किया।
राजनीतिक कंटेंट सिर्फ 6 फीसदी ही
फेसबुक पर लोग जो भी कंटेंट देखते हैं या पोस्ट करते हैं, उनमें राजनीतिक कंटेंट सिर्फ 6 फीसदी ही होता है। यहां तक कि अमरीका में 3 नवंबर को चुनाव के दिन में भी लोगों ने इससे दुगना कंटेंट हैलोवीन का देखा। यह खुलासा सोशल नेटवर्किंग की दिग्गज कंपनी ने खुद किया है। कंपनी के एनालिटिक्स के वाइस प्रेसिडेंट और चीफ मार्केटिंग ऑफिसर एलेक्स शुल्त्ज के अनुसार, चुनाव के समय भी ज्यादातर लोग वही कंटेंट देखते हैं, जो राजनीति के बारे में नहीं होता। इसमें दोस्तों की पोस्ट या पेज शामिल हैं।
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इन चीजों पर ज्यादा चर्चा
उन्होंने बुधवार को अपने एक बयान में कहा, उदाहरण के लिए चुनाव के दिन हमने हैलोवीन को लेकर पोस्ट की संख्या राजनीतिक पोस्ट से दोगुनी देखी, जबकि फेसबुक ने अपने न्यूज फीड में कई बार इसे टॉप पर डाला कि लोग मतदान के बारे में पोस्ट करें। फेसबुक पर जिन चीजों के बारे में सबसे ज्यादा सार्वजनिक चर्चा होती है वो फेसबुक पेज की पोस्ट होती हैं, जिनमें अन्य कंटेंट के लिंक भी होते हैं।
शोधकर्ताओं के ग्रुप्स के साथ करेगा पार्टनरशिप
उन्होंने आगे कहा, नागरिकों से जुड़ी चर्चाओं पर फेसबुक के प्रभाव को जानने की खासी रुचि है, इसलिए हम लोग ऐसे डेटा साझा करते हैं, ताकि इस पर और अध्ययन किया जा सके। इसके लिए हम फेसबुक ओपन रिसर्च एंड ट्रांसपेरेंसी (फोर्ट) प्रोजेक्ट के जरिए शोधकर्ताओं के समूहों और प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी कर रहे हैं।
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अगले वर्ष प्रकाशित होंगे शोधपत्र
फेसबुक को उम्मीद है कि अगले साल इस पर पहले शोधपत्र प्रकाशित किए जाएंगे। कंपनी ने कहा है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका के बाद यह स्पष्ट है कि हमें शोधकर्ताओं के साथ साझेदारी करने और उन्हें डेटा तक पहुंच देने के बारे में कितना ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
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