राजस्थान राज्य के लगभग 300 कॉलेजों में अगले सत्र से विद्यार्थियों को जॉय ऑफ गिविंग (देने का सुख) के महत्व के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। इसे सभी संकायों के हर वर्ष के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके जरिए करीब पांच लाख छात्र-छात्राएं दान, समाज सेवा व दूसरों की मदद करने के बारे में जानेंगे। कॉलेज आयुक्तालय इसकी तैयारी में जुटा है।
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किताबों में नहीं होगा पाठ, मिलेंगे नंबर
'देने का सुख' की सीख किताबों में पाठ के रुप में शामिल नहीं की जाएगी, फिर भी इसके अतिरिक्त नंबर मिलेंगे। दरअसल, अभी तक कॉलेजों में जो गतिविधियां करवाई जा रही हैं, उनसे छात्र-छात्राएं केवल समाज से लेना सीख रहे हैं। मसलन, किताबों की व्यवस्था करवाने के लिए किताबों का बैंक बनाने, भामाशाहों से मदद लेकर आधारभूत ढांचा तैयार करवाने, किसी कार्यक्रम में समाजसेवियों से मदद लेने आदि गतिविधियों से समाज के कॉलेजों व छात्र-छात्राओं को केवल लेने की प्रेरणा मिल रही है।
अब कॉलेज में ऐसी गतिविधियां करवाई जाएंगी, जिनसे वे समाज को लौटाना सीखें। इस कड़ी में गतिविधियों के आयोजन के साथ नैतिकता की सीख देने वाले व्याख्यान होंगे। जिनके क्रेडिट स्कोर (अतिरिक्त नंबर) भी छात्र-छात्राओं की अंकतालिका में शामिल किए जाएंगे।
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