16 फ़रवरी 2019

देश में कुशल आईटी कर्मियों की कमी, पांच लाख नौकरियों पर पड़ा असर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डेटा एनालिटिक्स जैसी नई प्रौद्योगिकियों की मांग बढ़ रही है। वहीं, कुशल आईटी कर्मियों की कमी है, जो उद्योग के शीर्ष निकाय नासकॉम के हितधारकों के लिए चुनौती है। नासकॉम के आईटी-आईटीइएस (आईटी इनेबल्ड सेवाएं) क्षेत्र कौशल परिषद के मुख्य कार्यकारी अमित अग्रवाल ने कहा, भारत के करीब 50 फीसदी आईटी कर्मियों को तत्काल कुशल बनाने की आवश्यकता है, ताकि नई प्रौद्योगिकियों की मांग पूरी की जा सके। नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसिस कंपनीज (नासकॉम) शीर्ष निकाय है, जो देश के आईटी और बिजनेस प्रक्रिया प्रबंधन (बीपीएम) उद्योग का प्रतिनिधित्व करती है।

कुशल कर्मियों की मांग और आपूर्ति में अंतर से 2018 में उद्योग के प्रदर्शन पर असर पड़ा। क्योंकि उद्योग में करीब पांच लाख नौकरियों के लिए 1,40,000 कुशल आईटी कर्मी नहीं मिले। अग्रवाल ने कहा, साल 2021 तक एआई और बिग डेटा में 7,80,000 नौकरियां होंगी, लेकिन 2,30,000 कुशल कर्मियों की कमी होगी। वल्र्ड इकॉनमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की 'द फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2018' रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के करीब 54 फीसदी आईटी कर्मियों को नए प्रौद्योगिकी के हिसाब से दोबारा कौशल का प्रशिक्षण देने या उनके कौशल को बढ़ाने की जरूरत है।

आईटी उद्योग अब नई प्रौद्योगिकियों को अपना रहा है, जिसमें एआई, मशीन लर्निंग (एमएल), डेटा एनालिटिक्स, ऑटोमेशन, रोबोटिक्स, ब्लॉकचेन, क्लाउड और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) शामिल हैं। ऐसे में कुशल कर्मियों की कमी के कारण कंपनियां चुनौतियों का सामना कर रही हैं। अग्रवाल ने कहा, उद्योग अपने कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर करीब 10,000 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है, ताकि भविष्य के आईटी कार्यबल तैयार कर सके।



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