बहुत से स्टूडेंट्स और उनके अभिभावक अक्सर शिकायत करते हैं कि क्या करें दिन में 16-17 घंटे पढ़ते हैं फिर भी कुछ पल्ले ही नहीं पड़ा। जो पढ़ते हैं, भूल जाते हैं, जबकि दूसरे स्टूडेंट दिन में 10-12 घंटे या इससे कम समय पढ़कर भी मेरिट लिस्ट में आ जाते हैं। अगर आप भी इन शिकायती विद्यार्थियों या पेरेंट्स में शामिल हैं तो वक्त है अपने पढऩे-लिखने के तरीके में जरा बदलाव लाने का। रट्टा मार स्टाइल छोड़कर इनमें से जो उपाय आपको मुफीद लगें, उन्हें अपनाकर देखें। फर्क महसूस होगा।
स्टिकी नोट्स
कुछ खास चीजें ऐसी होती हैं, जिन्हें हम बार बार भूल जाते हैं। यह कुछ भी हो सकता है। किसी के लिए इतिहास में लिखी महत्वपूर्ण सन् और तारीखें याद करना मुश्किल हो जाता है तो किसी के लिए भूगोल में खास फसलों के लिए जरूरी तापमान या विशेष भौगोलिक स्थानों की ऊंचाई वगैरह। जबकि कुछ विद्यार्थी फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ के फार्मूलों को याद करने के लिए परेशान रहते है। ऐसी चीजों के लिए स्टिकी नोट्स बनाएं और अपनी स्टडी टेबल की सामने वाली दीवार या बेडरूम के साइड की दीवार पर एक जगह चिपकाएं। दिन में कई बार इन पर नजर पड़ेगी तो आपको इन्हें याद रखने में आसानी होगी।
सेकंड ओपिनियन
किसी विषय पर अच्छी पकड़ बनाने और उसे पूरी तरह समझने के लिए सिर्फ अपनी पाठ्य पुस्तक पढऩा काफी नहीं। उस विषय पर एकाध दूसरी किताबें भी पढ़ें, गूगल पर भी विषय की जानकारी लें और फिर अपने नोट्स बनाएं। अलग-अलग जगह से पढऩे पर विषय की विशद् जानकारी होती है और अनजाने में ही रिवीजन भी हो जाता है। सब्जेक्ट पर आपकी पकड़ भी बढ़ती है। आपके नोट्स भी दूसरे स्टूडेंट्स से बिल्कुल अलग बनते हैं। बात है एग्जामिनर की नजर में आप एवरेज स्टूडेंट्स से अलग नजर आएंगे तो नम्बर भी ज्यादा मिलेंगे।
लिख-लिखकर पढ़ें
कई बार हम चीजों को पढऩे के बाद सोचते हैं कि वे हमें याद हो गईं लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है। सिर्फ पढ़ लेने से चीजों को लम्बे समय तक याद रखना संभव नहीं होता। बेहतर यह होगा कि जो आप पढ़ते हैं, उसे एक दो दिन बाद अपनी कॉपी से अपनी भाषा में लिखने की आदत भी डालें। इससे तीन फायदे हैं। पहला यह कि विषय का रिवीजन हो जाता है। दूसरा यह कि आपका एक अलग नोट्स तैयार हो जाता है, जो किताबी भाषा से अलग होता है और तीसरा पढ़ते समय आप विषय को रटने की बजाय समझने की कोशिश करते हैं क्योंकि आपको वह लिखना होता है।
प्रजेंटेशन बनाएं
जब आप किसी चैप्टर को अच्छी तरह पढ़ लेने के बाद समझने लगते हैं कि अब आप इसमें से पूछा जाने वाला कोई भी प्रश्न आसानी से हल कर देंगे तो फिर इस काम को बाद के लिए न छोड़ें, उसी दिन अपनी एक नोटबुक में या फिर कम्प्यूटर पर पूरे चैप्टर से जुड़ा पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन बनाएं। फिर दो चार दिन बाद उन प्वाइंट्स को दोहराते हुए उन्हें इलेबोरेट करने की अपनी क्षमता का आकलन करें। इस तरह आप सही मायने में चैप्टर को आत्मसात कर पाएंगे।
कॉमिक स्ट्रिप ट्राई करें
अगर आप क्रिएटिव नेचर के हैं और अक्सर अपनी पेंसिल से ड्रॉइंग वगैरह करते रहते हैं तो अपनी इस कला का इस्तेमाल पढ़ाई लिखाई में करें। दिनभर में जो-जो पढ़ा, शाम को उसकी मुख्य मुख्य बातों को कॉमिक स्ट्रिप की तरह बनाएं। इससे रिवीजन होने के साथ-साथ आपको रेडी टू यूज पावर प्वाइंट्स भी मिल जाएंगे। इनका इस्तेमाल आप जब चाहें लास्ट मोमेंट टच के लिए कर सकते हैं।
छोटी पॉकेट डायरी रखें
कई बार आप अपनी स्टडी के बाद या पहले जब स्कूल-कॉलेज या कहीं और आने जाने के लिए यात्रा कर रहे होते हैं तो आपके दिमाग में अचानक विषय से जुड़ा कोई नया आयडिया क्लिक कर जाता है या दूसरों की बात सुनते-सुनते कोई नई जानकारी मिल जाती है। इन चीजों को तुरंत अपनी पॉकेट डायरी में नोट करने की आदत डालें। वरना बाद में भागदौड़ के दौरान आप इन्हें भूल जाएंगे। यह तरीका बेहद उपयोगी साबित होता है। आयडिया और सूचनाएं बार-बार नहीं मिला करते।
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