Good News: आजकल बच्चे उठने से लेकर रात को सोने तक मेाबाइल के जाल में इस कदर फंसे हैं कि माता-पिता को खाने तक के लिए मिन्नतें करनी पड़ती हैं। मां-बाप भी छोटे बच्चों को खिलौना समझकर मोबाइल थमा देते हैं। लेकिन कई अध्ययनों में सामने आया है कि कम उम्र में बच्चों का मोबाइल थमाने से आगे चलकर उनका मानसिक विकास बाधित हो जाता है और कई तरह की समस्याओं से घिर जाते हैं। ऐसे में अभिभावकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, वे बच्चों के स्क्रीन टाइम पर निगरानी रखें।
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महिलाओं में जोखिम ज्यादा...
अध्ययन में सामने आया कि 6 वर्ष की उम्र से मोबाइल का इस्तेमाल करने वालों में 18 वर्ष की उम्र से फोन का इस्तेमाल शुरू करने वालों की तुलना में मानसिक विकारों का खतरा 6% ज्यादा है। जबकि महिलाओं में यह जोखिम 20% देखा गया। रिसर्च के मुताबिक 10 वर्ष की उम्र से स्मार्टफोन का प्रयोग करने वालों में यह समस्या 61%, जबकि 15 वर्ष की उम्र से स्मार्टफोन यूज करने वालों में 52 % मेंटल हेल्थ से जुड़े मामले मिले। 18 की उम्र से फोन का इस्तेमाल करने वालों में 46% को समस्या पाई गई।
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18 से 24 वर्ष के युवाओं पर अध्ययन...
हाल ही अमरीका के एनजीओ सैपियन लैब्स ने 40 से ज्यादा देशों के 18 से 24 वर्ष के 27 हजार 969 युवाओं के डेटा जुटाए। इसमें सामने आया कि जो कम उम्र से मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे थे, उनमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी ज्यादा पाई गई।
18 वर्ष की उम्र से फोन का इस्तेमाल करने वालों में सबसे कम रिस्क पाया गया।
40 लोगों के डेटा का अध्ययन किया गया।
74% युवाओं में मानसिक परेशानी 6 वर्ष की उम्र से स्मार्टफोन के इस्तेमाल करने पर
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