01 नवंबर 2020

अजब-गज़ब: यहां डॉगी की पॉॅटी का वजन कर देते हैं फ्री वाइफाइ कनेक्शन

इंटरनेट के इस युग में कनेक्टिविटी और सोशल मीडिया (social media) के जरिए एक-दूसरे से जुड़े रहने के लिए हम वाइफाइ (wi-fi) का भी इस्तेमाल करते हैं। घर से काम करने (work from home) से लेकर दूरस्थ शिक्षा (distance learning) और ऑनलाइन क्लासेज (online classes) से वीडियो मीटिंग्स तक वाइफाइ हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन इसकी लोकप्रियता के बावजूद, हम में से अधिकतर यूजर इस वायरलेस तकनीक (wireless technique) के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।

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क्या है वाइफाइ तकनीक
वाइफाइ एक वायरलेस नेटवर्किंग तकनीक है जो लोगों को विभिन्न उपकरणों जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, वीयरेबल्स जैसे स्मार्ट वॉच या फिटनेस बैंड, प्रिंटर, वीडियो कैमरा और ऐसे ही अन्य उपकरणों के माध्यम से इंटरनेट से कनेक्ट करने की सुविधा देती है। यह एक साथ कई उपकरणों को जोड़कर हमें सूचनाओं के आदान-प्रदान की सुविधा देती है। इस तरह वाइफाइ एक मल्टी-नेटवर्किंग के जरिए हमें अपनों से कनेक्ट करने का करती है। कोई भी वायरलैस राउटर का उपयोग कर इंटरनेट का उपयोग कर सकता है, जो डिजिटल उपकरणों को वाइफाइ से कनेक्ट करता है। आइए जानते हें वाइफाइ के बो में ऐसे 10 मजेदार और हैरान करने वाले फैक्ट्स जिससे बहुत से लोग अभी तक अनजान हैं।

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01. असफल प्रयोग का नतीजा है वाइफाइ
आपको जानकर हैरानी होगी कि वाइफाइ दरअसल एक असफल प्रयोग का नतीजा है। ऑस्ट्रेलियाई रेडियो-खगोलविदों डॉ. जॉन ओ'सुलीवान, टेरेंस पर्किवल, डाइट ओस्ट्री, जॉन डीन और ग्राहम डेनियल ने वाइफाइ का पेटेंट करवाया था। यह उनके परमाणु-आकार (atom sized) के black hole का पता लगाने वाले एक असफल प्रयोग का उत्पाद था। खगोविज्ञानियों की यह टीम प्रयोग को राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (CSIRO) के लिए यह शोध कर रहे थे। 1996 में, इस संगठन को कंप्यूटर नेटवर्क द्वारा उपयोग किए जाने वाले संचारित रेडियो संकेतों पर मल्टीपाथ हस्तक्षेप कम करने की तकनीक विकसित करने के लिए पेटेंट से सम्मानित किया गया था।

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02. वाइफाइ शब्द का कोई मतलब नहीं होता
1997 में, वाइफाइ सिग्नल को प्रसारित करने के लिए 802.11 या रेडियो फ्रीक्वेंसी के लिए प्रोटोटाइप का पहला संस्करण लॉन्च किया गया था। इसमें 2 एमबिट/सेकंड स्पीड (2 Mbit/s speed) की सुविधा दी गई थी। हर उत्पाद का एक नाम होता है जो उसकी पहचान बन जाता है। वाइफाइ रिसर्च की देखरेख कर रही EEE समिति (EEE committee) इसके लिए एक आकर्षक नाम चाहती थी। उन्होंने उस दौैर की प्रसिद्ध मार्केटिंग फर्म इंटरब्रांड से परामर्श किया और फर्म ने इस प्रोटोटाइप को वाइफाइ नाम दिया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वाइफाइ शब्द का कोई विशेष अर्थ नहीं है, लेकिन यह प्रोटोटाइप के प्रायोगिक नाम 'आइईईई 802.11' (IEEE 802.11) की तुलना में बहुत बेहतर था।

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03. माइक्रोवेव ओवन जितनी फ्रीक्वेंसी होती है
वाइफाइ एक माइक्रोवेव ओवन के समान ही 2.4 गीगाहर्ट्ज जितनी फ्रीक्वेंसी प्रसारित करता है। हालांकि ओवन की फ्रीक्वेंसी को लंबी रेंज के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है क्योंकि वातावरण में मौजूद आद्र्रता इसके सिग्नल को अवशोषित कर लेती है। हालांकि, माइक्रोवेव ओवन में 5 गीगाहर्ट्ज की उच्चतम फ्रीक्वेंसी भी होती है जो बहुत तेज है, लेकिन इसकी रेंज 2.4 गीगाहर्ट्ज की धीमी फ्रीक्वेंसी से कम होती है। वहीं माइक्रोवेव का उपयोग वाइफाइ सिग्नल में व्यवधान भी पैदा कर सकता है।

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04. 45 करोड़ रुपए का जुर्माना वाइफाइ ब्लॉक करने पर
साल 2014 के एक हैरान करने वाले मामले में अमरीका की फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन ने 2013 के एक पुराने मामले में कार्रवाई करते हुए नैशविले में आयोजित एक कार्यक्रम में निजी वाइफाई कनेक्शन को ब्लॉक करने के लिए मैरियट होटल पर 6 लाख डॉलर यानी करीब 44.72 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। कमीशन की जांच में पाया गया कि वाइफाई कनेक्शन को ब्लॉक करने के बाद होटल ने अपने वायरलेस नेटवर्क का इस्तेमाल करने देने के लिए ग्राहकों से प्रति व्यक्ति एक हजार डॉलर का शुल्क वसूला था।

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05. एनजीओ जो देगा दुनिया भर में मुफ्त वाइफाइ
न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संगठन एमडीआइएफ का लक्ष्य अंतरिक्ष उपग्रहों (स्पेस सैटेलाइट) का उपयोग कर दुनिया भर में मुफ्त वाइफाइ की सुविधा देना है। 'एनजीओ की 'अदरनेट' (Othernet project) परियोजना दुनियाभर के गरीब देशों की लाखों-करोड़ों आबादी की इंटरनेट तक पहुंच सुनिश्चित करना है। इसके लिए एनजीओ ऑनलाइन धन एकत्र कर रही है। इस परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए 2 लाख डॉलर की आर्थिक मदद की जरुरत है। साल 2015 तक उन्होंने 628,305 डॉलर जुटा भी लिए थे। लेकिन इसके बाद एनजीओ की इस परियोजना के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी है।

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06. निकोला टेस्ला की प्रतिमा से वाइफाइ सिग्नल
अमरीका के उत्तरी कैलिफोर्निया स्थित सैन-फ्रांसिस्को में दुनिया की सिलिकॉन वैली (Silicon Valley) कहने वाली के नाम से मशहूर की सैंटा क्लेरा बे-एरियाय में दुनिया की शीर्षतम टेक्नोलॉजी कंपनियोंं के ऑफिस हैं। इस एरिया में अपने जमाने के सबसे ज्यादा पेटेंट रखने वाले सर्बियन-अमरीकी मूल के दुनिया के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और विजनरी सर निकोला टेस्ला ( Nikola Tesla statue) की प्रतिमा भी लगाई गई है। लेकिन इस प्रतिमा की खासियत है कि यह मुफ्त वाइफाइ सिग्नल भी प्रदान करती है। दरअसल, यह टेस्ला की प्रतिमा एक टाइम कैप्सूल है, जिसे साल 2043 या 7 दिसंबर, 2013 को जमीन में दफ्नाए जाने के 30 साल बाद खोला जाएगा।

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07. जब वाइफाइ से महिला को हुई एलर्जी
क्या आपने कभी सोचा है कि वाइफाइ से किसी को एलर्जी भी हो सकती है? लेकिन एक ब्रिटिश महिला का दावा है कि उसे वाइफाइ की वजह से एलर्जी हो गई है। वाइफाइ की इस हाइफाइ एलर्जी से बचने के लिए उसने तांबे और चांद के कवर वाला 500 डॉलर का एक खास स्लीपिंग बैग बनवाया है जो वाइफाइ और सेलफोन से निकलने वाले विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों से उसे बचाता है। कुछ समय बाद ही उसे इस बैग की मरम्मत या नया बैग बनवाने में फिर से इतने ही डॉलर खर्च करने पड़ते हें जो उसके लिए बहुत महंगा साबित हो रहा है। उसे डर है कि कहीं 5G नेटवर्क से उसके स्वास्थ्य के साथ-साथ उसकी आर्थिक हालत और भी न बिगड़ जाए।

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08. फोर्ब्स पत्रिका का वाइफाइ हॉटस्पॉट
साल 2013 में, फोब्र्स मैगजीन (Forbes Magzine Edition 2013) की 6 मई, 2013 की कुछ चुनिंदा प्रतियों में किसी एक अंदरूनी पेज पर वाइफाइ राउटर अटैच था। इन्हें प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक उद्योगों से जुड़े कुछ पेशेवरों को विशेष तौर से भेजा गया था।

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09. पोर्टेबल टॉलेट में भी वाइफाइ की सुविधा
इसी प्रकार साल 2003 में, माइक्रोसॉफ्ट ने वाइफाइ इनेबल्ड (Wi-Fi enabled portable toilet) एक पोर्टेबल शौचालय बनाने की योजना बनाई, जिसे आईलो (iLOO) कहा जाता है। हालांकि, बाद में इस योजना को रद्द कर दिया गया क्योंकि यह कंपनी के एमएसएन (MSN) ब्रांड को बढ़ावा देने में मदद नहीं करता। लेकिन अफवाहें यह फैल गईं कि माइक्रोसॉफ्ट ने इस प्रोजेक्ट को इसलिए रद्द कर दिया गया था क्योंकि एंड्रयू क्यूबिट नाम की एक अन्य कंपनी उनपर मुकदमा दायर कर सकती थी क्योंकि उन्होंने भी इसी नाम से एक वाइफाइ राउटर (i-LOO) बनाया था।

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10. कुत्ते की पॉटी और वाइफाइ कनेक्शन
साल 2012 में, मेक्सिको सिटी की एक विज्ञापन एजेंसी ने पालतू कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर पॉटी करवाने की बजाय घर पर ही रखने के बदले उनके मालिकों को मुफ्त वाइफाइ की पेशकश की थी। एजेंसी की तरफ से यह ऑफर सार्वजनिक पार्कों में उसके सफाई अभियान का एक हिस्सा था। इतना ही नहीं जो लोग सार्वजनिक पार्कों से कुत्तों की पॉटी और गंदगी साफ करने वालों को भी वाइफाइ सुविधा देती है। उन्हें कितनी देर कनेक्शन मिलेंगा यह उनके द्वारा हटाई गई दुर्गंध वाली वस्तुओं के वजन से तय किया जाता है।



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