09 नवंबर 2020

लीक हुआ bigbasket के 2 करोड़ यूजर्स का निजी डेटा, इतने लाख में सौदे का आरोप

टेक्नोलॉजी बढ़ने के साथ साइबर क्राइम भी बढ़ने लगे हैं। कई बार हैकर्स वेबसाइट्स से यूजर्स का डेटा लीक कर लेते हैं और फिर उन्हें थर्ड पार्टी को बेच देते हैं। ऐसा ही कुछ किराना सामान की ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनी बिगबास्केट (bigbasket) के साथ हुआ। हैकर्स ने बिगबास्केट के डेटा में सेंध लगाकर यूजर्स का डेटा लीक कर दिया है। साइबर इंटेलिजेंस कंपनी साबइल के अनुसार, बिगबास्टकेट के करीब दो करोड़ यूजर्स का निजी डेटा लीक हो गया है। बेंगलुरु के साइबर क्राइम सेल में बिगबास्केट ने इस बारे में शिकायत दर्ज कराई है।

30 लाख रुपए में बेचा
साबइल की रिपोर्ट के अनुसार, एक हैकर ने यह डेटा लीक किया है और इसे 30 लाख रु में बेचा जा रहा है। साइबल ने ब्लॉग में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि डार्क वेब की नियमित निगरानी के दौरान रिसर्च टीम ने पाया कि बिगबास्केट का डाटाबेस 40,000 डॉलर में बेचा जा रहा है। साथ ही बताया गया है कि लीक किए गए डेटा की एसक्यूएल फाइल का आकार करीब 15 जीबी है। इस फाइल में करीब 2 करोड़ यूजर्स का डेटा है।

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ये जानिकारियां की गईं लीक
साइबल का कहना है कि हैकर ने बिगबास्केट से यूजर्स का जो डेटा चुराया है उसमें नाम, ई-मेल आईडी, पासवर्ड, संपर्क नंबर (मोबाइल फोन और फोन, पता, जन्मतिथि, स्थान और आईपी पता शामिल हैं। बिगबास्केट ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि कुछ दिन पहले हमें संभावित डाटा सेंध की जानकारी मिली है। हम इसका आंकलन करने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही कंपनी ने बताया इस बारे में बेंगलुरु के साइबर क्राइम सेल में शिकायत भी की है।

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इंटरनेट की दुनिया का सबसे खतरनाक हिस्सा है डार्क वेब
इंटरनेट में तीन प्रकार की दुनिया होती है इनमें सरफेस वेब, डीप वेब और डार्क वेब होती हैं। इन तीनों में से डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का यह सबसे खतरनाक हिस्सा है। एंटीवायरस बनाने वाली कंपनी मैकअफे का कहना है कि इस इंटरनेट की दुनिया से करीब 3 गुना बड़ा है। हालांकि इसका इस्तेमाल करना गैर कानूनी है, लेकिन यहां ऐसे काम आम हैं। टॉर ब्राउजर यूज करने वाले ही डार्क वेब का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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ट्रैक नहीं किया जा सकता टॉर ब्राउजर
बता दें कि टॉर ब्राउजर को ट्रैक नहीं किया जा सकता। अगर टॉर ब्राउजर के जरिए इंटरनेट पर कोई भी काम करते हैं तो सरकारी एजेंसियां भी उसे ट्रैक नहीं कर सकतीं। इसमें आईपी एड्रेस लगातार बदलती रहता है। डार्क वेब में मानव तस्करी का भी काम होता है।



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