04 नवंबर 2019

भविष्य के रोबोट्स का डिजायन कीटों से प्रेरित होगा

शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाल ही अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि उडऩे वाले कीट जिस तरह पीठ के बल लैंडिंग करते हैं वह नई रोबोटिक तकनीक को प्रेरित कर सकता है। यानि भविष्य में वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ऐसे रोबोट्स बनाने पर काम करेगी जो कीटों के मैकेनिज्म से प्रेरित होंगे। इस प्रयोग में भी घरेलू मक्खियां सूची में सबसे ऊपर हैं। वैज्ञानिक फिलहाल यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि कैसे मक्खियां पलक झपकते ही सतह पर लैंड करती हैं। पेन स्टेट में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर बो चेंग और एडवांस साइंस में प्रस्तुत शोध पत्र के प्रमुख लेखक ने इनसेक्ट रोबोटिक्स पर शोध को अंजाम दिया है। अपने शोध में उन्होने बताया कि फ्लाइंग शटल से लेकर रोलिंग रोबोट तक स्वचालित आपूर्ति श्रृंखला या ऑटोमेटेड सप्लाई चेन इन छोटे कीटों की गजब की शारीरिक इंजीनियरिंग में समाई है। उनका कहना है कि उडऩे वाले कीटों के पास दुनिया का सबसे बेहतरीन और अब तक सबसे कम समझा गया एरोबेटिक इंजीनियरिंग से लैस पैंतरेबाज़ी है। पोर्टेबल रोबोट बनाने और तकनीक को अपग्रेड करने के लिए हम इन कीटों की शरीरिक इजीनियरिंग का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन हमें इसे पहले समझना होगा। चेंग और उनके सहकर्मियों का उद्देश्य इन कीटों की जैव-रासायनिक और संवेदी प्रक्रियाओं को समझना है जो अपनी मोडिफाइड TECHNIQUE का उपयोग छत और गतिशील वस्तुओं की सतह पर उतरने के लिए करते हैं।

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पीठ के बल सतह पर उतरती हैं मक्खियां
आमतौर पर घरेलु मख्खियां पीठ के बल सतह पर उतरती हैं लेकिन यह प्रक्रिया इतनी तेज़ी से होती है की हमें सामान्य आँखों से यह नज़र नहीं आती। डेटा एकत्र करने के लिए चेंग की टीम ने हाई-डेफिनिशन कैमरे से वीडियो ग्राफी के जरिए एक उड़ान कक्ष में मक्खियों के उल्टे लैंडिंग करने की तकनीक की जांच की। उन्होंने पाया कि कीड़े आमतौर पर समय पर लेंड करने के लिए चार अलग-अलग प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। पहले वे अपनी गति बढ़ाते हैं, फिर एक सर्कल में अपने शरीर को तेजी से घुमाते हैं, इसके बाद अपने पैरों का इस्तेमाल कर अपने झूलते शरीर को सतह पर लैंड करते हैं।

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शोधकर्ताओं का मानना है कि लैंडिंग की पूरी प्रक्रिया एक जटिल दृश्य श्रृंखला द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसके जरिए इन संवेदी मक्खियों को अपनी वांछित लैंड करने की जगह का संकेत मिलता है। एक रोबोट को ऐसा करने के लिए बहुत चुस्त होना होगा। प्रोफेसर बो चेंग का कहना है कि इन कीटों की इंजीनियरिंग का इस्तेमाल न्यूरोसाइंस में भी किया जा सकता है। उनका कहना है कि मक्खी का सूक्ष्म दिमाग इस तरह की पैंतरेबाजी को पलक झपकते ही करने के लिए कैसे सक्षम है यह इंसान की न्यूरोसांइस एवे नर्वस सिस्टम से जुड़ी कई समस्याओं की गुत्थी सुलझा सकती है।

भविष्य के रोबोट्स का डिजायन कीटों से प्रेरित होगा

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