23 फ़रवरी 2019

टीचर्स भर्ती पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, इन्हें मिलेगी राहत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश में राजकीय वित्तीय सहायता प्राप्त प्राइवेट डिग्री कालेजों में कार्यरत 69 मानदेय शिक्षकों के समायोजन का निर्देश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि समायोजन उन्हीं पदों पर किया जाए जिन पर वे कार्यरत है बशर्ते पद भर न दिया गया हो। न्यायालय ने दो माह में कार्यवाही पूरी करने के बाद ही खाली बचे पदों पर सीधी भर्ती किए जाने का निर्देश दिया है।

न्यायालय ने कहा है कि डॉ. विश्वजीत सिंह केस में न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन किया जाए। समायोजित 169 पदों में से ज्वाइन कर चुके शिक्षकों के कार्य में हस्तक्षेप न करने का भी निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने डॉ. गीतिका नागर और अन्य 69 याचियों की याचिका को निस्तारित करते हुए शुक्रवार को यह आदेश दिया।

उच्च शिक्षा निदेशक ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर बताया कि 18 मई 2017 को 169 मानदेय शिक्षकों का समायोजन किया जा चुका है। जिनमें से 100 ने ज्वाइन कर लिया है जबकि 69 ने ज्वाइन नहीं किया। इन्हें कालेज में पद खाली न होने के कारण उसी कालेज में समायोजित नहीं किया गया। सभी ने याचिका दाखिल की। न्यायालय के अन्तरिम आदेश से सभी कार्यरत है। मानदेय भी प्राप्त हो रहा है।

राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि याचियों को उसी कालेज में समायोजित करने में उसे आपत्ति नहीं है बशर्तें पद खाली हो। उसे भर्ती में न शामिल किया गया हो, इन्हें चयन में प्राथमिकता दी जाएगी। इस पर न्यायालय ने याचीगण को उसी कालेज में समायोजित करने का निर्देश दिया है। भर्ती विज्ञापन 37 और 38 अदालत ने रद्द कर दिया और डॉ. विश्वजीत सिंह केस के आदेश के पालन करने में विज्ञापन संख्या 44 एवं 45 राज्य सरकार ने वापस ले लिया। सरकार ने कहा कि विषयवार श्रेणी बनाने में छह हफ्ते लग सकते हैं।



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