Data Privacy Day: तकनीक के बिना हमारा जीवन अधुरा है। आज के समय में तकनीक का इस्तेमाल करना हमारे लिए सांस लेने जितना जरूरी है। इसके साथ ही प्राइवेसी फैक्टर भी उतना महत्वपूर्ण हो गया है। अधिकांश अन्य देशों के विपरीत, जहां डेटा प्राइवेसी कानून सख्त हैं, इस पर भारत का रुख ढीला है। इसलिए लोग खुद अपने निजी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए स्ट्रॉंग पासवर्ड से लेकर एंटी-वायरस जैसे मोबाइल ऐप्स तक का उपयोग करते हैं। इस मुद्दे को लेकर आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर संदीप शुक्ला ने कुछ अहम पहलुओं पर रोशनी डाली है।
जागरूकता:
तकनीक के युग में जागरूक रहना बहुत जरूरी है। प्रोफेसर शुक्ला का कहना है कि अगर लोग मेरी लोकेशन, मेरी चाल, मेरी आदतें, पसंद नापसंद आदि जानते हैं तो क्या गलत है।" इसलिए, आपको यह प्रश्न पूछने की आवश्यकता है कि किसी ऐप या सेवा को आपके स्थान या आपको क्या पसंद है, यह जानने की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने आगे कहा है कि यूजर्स को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि इसका इस्तेमाल देश के खिलाफ हिंसा और दंगे जैसे कार्यों को भड़काने के लिए किया जा सकता है। प्रोफेसर शुक्ला ने आगे कहा है कि व्यक्तिगत स्तर पर डेटा प्राइवेसी को लेकर सभी को जागरूक रहना चाहिए। साथ ही सरकार को भी डेटा प्राइवेसी के प्रति जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
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सस्ते स्मार्टफोन्स :
प्रोफेसर संदीप शुक्ला का कहना है कि इन दिनों, भारतीय बाजार में एक से बढ़कर एक सस्ते स्मार्टफोन्स आ रहे हैं, जो एडवांस स्पेसिफिकेशन्स से लैस हैं। हालांकि, ये डिवाइसेज निजी डेटा के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। ज्यादातर स्मार्टफोन्स में प्री-इंस्टाल ऐप होते हैं, जो आपकी पसंद को समझकर विज्ञापन दिखाते हैं। इस तरह मोबाइल ऐप भी डेटा की परमिशन मांगते हैं। ऐसे में लोगों को सस्ते मोबाइल फोन और ऐप का इस्तेमाल करने के जोखिम को समझना चाहिए। ऐसे उपकरण पर अधिक खर्च करना बेहतर है जो अपके डेटा की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देशों को स्पष्ट करता हो और यह सुनिश्चित करता हो कि यह उन्हें समय के साथ बनाए रखेगा।
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सरकार का हस्तक्षेप करना :
प्रोफेसर संदीप शुक्ला का कहना है कि Google और Apple हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि कोई ऐप आपके स्मार्टफोन के लिए उपयुक्त है या नहीं और इसे डाउनलोड किया जाना चाहिए। हालांकि, ऐप्स को होस्ट करना उनके लिए व्यवसाय है और वे इन ऐप्स को कैसे फिल्टर करते हैं, इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है।
यह वह जगह है जहां सरकार कदम उठा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को मोबाइल के लिए ऐप विकसित करना चाहिए जो डाउनलोड किए गए प्रत्येक ऐप की प्राइवेसी को रेट कर सकें और उपयोगकर्ता को प्राइवेसी भंग करने वाले ऐप्स का इस्तेमाल करने के खिलाफ चेतावनी दे सकें। यह ऐप डेवलपर्स को सख्त डेटा प्राइवेसी मानकों का पालन करने के लिए मजबूर कर सकता है।
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